साहित्य का उद्देश्य धार्मिक श्रेष्ठता की अपेक्षा मानव – मानव में समानता का गुण विकसित करना होता है । लेखक कहता है कि हमें बदलते परिवेश के अनुरूप अपनी सौंदर्य दृष्टि में भी बदलाव करना ही पड़ेगा । साहित्य समझा जाता था, वहीं सामान्य लोकभाषा में कही गई जीवन की सच्चाई को भी साहित्य की श्रेणी में रखना चाहिए ।
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