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Saket (Complete) by Maithlisharan Gupta in Hindi

295.00

साकेत राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुज की वह अमर कृति है जिसे गुप्त जी अपने साहित्यिक जीवन की अंतिम रचना के रूप में पूरी करना चाहते थे । उनकी इस इच्छा के अनुरूप साकेत वास्तविक अर्थों में उनकी अमर रचना बन गई । यद्यपि ‘साकेत’ में राम, लक्ष्मण और सीता के वन गमन का मार्मिक चित्रण है, कि इस कृति में समस्त मानवीय संवेदनाओं की अनुभूति पाठक को होती है । इस कृति में उर्मिला के विरह का जो चित्रण गुप्त जी ने किया है वह अत्यधिक मार्मिक और गहरी मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं से ओत-प्रोत है । सीता तो राम के साथ वन गई, किन्तु उर्मिला लक्ष्मण के साथ वन न जा सकीं । इस कारण उनके मन में विरह की जो पीड़ा निरंतर प्रवाहित होती है उसका जैसा करुण चित्रण राष्ट्रकवि ने किया है, वैसा चित्रण अन्यत्र दुर्लभ है । इस करुण चित्रण को पढ़कर पाठक के मन में करुणा की ऐसी तरंग उठना अनिवार्य है, कि आखें बरबस नम हो जायें और राष्ट्रकवि की साहित्यिक क्षमता को नमन कर उठें ।

 

  • Paperback ‏ : ‎ 328 pages
  • Reading age ‏ : ‎ 10 years and up
  • Item Weight ‏ : ‎ 350 g
  • Dimensions ‏ : ‎ 21 x 14 x 2 cm

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