काव्यादर्श के प्रथम परिच्छेद में काव्य के तीन भेद किए गए हैं– (१) गद्य, (२) पद्य तथा (३) मिश्र।। गद्य पुन: ‘आख्यायिका’ और ‘कथा’ शीर्षक दो उपभेदों में विभाजित है। परंतु उक्त दोनों के लक्षणों में किसी मौलिक अंतर का निर्देश नहीं किया गया है। कृतिकार ने संस्कृत गद्य साहित्य की भी चार कोटियाँ मानी हैं– ‘संस्कृत’, ‘प्राकृत’, ‘अपभ्रंश’ तथा ‘मिश्र’। ‘वैदर्भी’ और ‘गौड़ी’ नामक दो शैलियों तथा १० गुणों का परिचय भी इसी परिच्छेद में है। रचयिता ने अनुप्रास के भेद गिनाकर उनमें से प्रत्येक के लक्षण एवं उदाहरण भी दिए हैं। ‘श्रुत’, ‘प्रतिभा’ तथा ‘अभियोग’ को दंडी ने कवि मात्र के तीन नियामक गुण माने हैं।
Pages – 112
Weight – 114 g
Size – 21 x 14 x 0.5 cm
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