सांख्यकारिका, सांख्य दर्शन के उपलब्ध ग्रन्थों में सबसे प्राचीन एवं बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्रकरण ग्रन्थ है जिसने अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त की है। इसके रचयिता ईश्वरकृष्ण हैं। संस्कृत के एक विशेष प्रकार के श्लोकों को “कारिका” कहते हैं। सांख्यकारिका में ७२ कारिकाएँ हैं जो आर्या छन्द में हैं। इसलिये इसे ‘साङ्ख्यसप्तति’ भी कहते हैं। ऐसा अनुमान किया जाता है कि अन्तिम ३ कारिकाएँ बाद में जोड़ी गयी (प्रक्षिप्त) हैं। चीन में इसे ‘सुवर्णसप्तति’ कहा जाता है। अनुयोगद्वार सूत्र में इसे “कणग सत्तरी” कहा गया है।
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