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Kukurmutta by Suryakant Tripathi Nirala

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कुकुरमुत्ता, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक प्रसिद्ध लंबी कविता है जिसमें कवि ने पूंजीवादी सभ्यता पर कुकुरमुत्ता के बयान के बहाने करारा व्यंग्य किया गया है। कुकुरमुत्ता गुलाब को सीधा भदेश अंदाज में संबोधित करता हुआ उसके सभ्यता की कलई उधेड़ता चला जाता है। अबे सुन बे गुलाब। डाल पर इतराता है कैपिटलिस्ट।

Pages – 40

Weight – 100 g

Size – 21 x 14 x 0.4 cm

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Kukurmutta by Suryakant Tripathi Nirala
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